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बड़ी बात या सोने की ईंट (रूस की लोक कथा)

रूस के सुदूर प्रान्त के एक गाँव में एक किसान के बेटे की शादी थी। घर में उत्सव का माहौल था। घर की महिलाएँ नाच-गा रही थीं। घर के बाहर काफी लोग जमा थे और वे सब हंसी-मज़ाक कर रहे थे। इस अवसर पर कोई भी शांत रहने को तैयार नहीं था, सब के पास कहने को कुछ-न-कुछ अवश्य था. तभी गाँव के दुकानदार ने शेखी बघारी, "तुम्हें पता है

कल हुआ?"

"क्या हुआ?" दूसरे ने पूछा।

"कल मैं गांव के जागीरदार से मिला। उसने मेरा स्वागत किया और मेरा हालचाल पूछा।“

साथ खड़े लोग बोले. "यह असंभव है, इस गाँव का जागीरदार बहुत ही अहंकारी है, उसका शिष्टता से कोई नाता नहीं है। उसे तो बात तक करने का तरीका नहीं पता।"

यह बातचीत किसान का बेटा रॉजर सुन रहा था। उसने भी शेखी बघारी, “अरे चाचा! ऐसा कुछ नहीं है। मैं तो जागीरदार के साथ भोजन भी कर सकता हूँ।“

उसकी बात सुनकर लोग हंसे। तब एक बुजुर्ग ने सलाह दी, "बेटा, एक व्यक्ति को अपनी स्थिति के अनुसार ही बात करना चाहिए। हमें लंबी-लम्बी मनगढ़ंत बाते नहीं करनी चाहिए। जागीरदार हमारा राजा है, वह हम जैसे किसानों को अपने सामने भी नहीं आने देगा।"

रॉजर मुस्कुराया। वह एक चतुर लड़का था। उसने विनम्रता से कहा, "महोदय, मैं बड़े-बड़े दावे नहीं कर रहा हूं। मैं सच बोलता हूं।"

गाँव के दुकानदार को रॉजर की यह बात नहीं जंची, उसने चुनौती दी, "बेटा रॉजर! यदि तुम वास्तव में जागीरदार के साथ एक समय का भी भोजन कर सके तो मैं तुम्हें एक बड़ा इनाम दूँगा।"

"तो, आप क्या इनाम देंगे? क्या आप मुझे अपने दोनों घोड़े देंगे?” रॉजर ने पूछा।

"न केवल दोनों घोड़े बल्कि मैं तुम्हें अपनी सबसे बढ़िया गाय भी दे दूंगा। दुकानदार ने घमंड से कहा और पूछा, "लेकिन मुझे एक बात बताओ कि तुम एक दिन के भीतर उसके साथ भोजन नहीं कर सके तो तुम मुझे क्या दोगे?"

"अगर मैं असफल हुआ तो मैं तीन साल तक आपका गुलाम बनकर रहूँगा" रॉजर ने उत्तर दिया।

सभी ने रॉजर की ओर अविश्वास से देखा। उसने एक ऐसी चुनौती स्वीकार की थी जिसे पूरा करना असंभव था।

अगली सुबह, रॉजर जागीरदार की हवेली में गया। द्वारपाल ने उसे रोका। रॉजर ने उससे कहा, "अंदर जाओ और जागीरदार से पूछो कि क्या वह सोने की ईंटों के बारे में जानता है। अन्यथा, मैं किसी और के पास जा रहा हूँ।" द्वारपाल हैरान था। वह दौड़कर अंदर गया और उसने इसके बारे में बताया।

यह सुनकर जागीरदार भी हैरान रह गया। लेकिन उसने शांत दिखने की कोशिश की और आदेश दिया, "लड़के को अन्दर बुला लाओ। और हमारे दोपहर के भोजन की व्यवस्था करो।" रॉजर को सम्मानपूर्वक अंदर ले जाया गया और खाने की मेज पर बैठाया गया। दोपहर का भोजन और फल रखे गये थे।

थोड़ी ही देर में जागीरदार भी आ गया। वहां जाकर उसने अपना स्थान ग्रहण किया। उसने लड़के से पूछा, "बेटा, तुम कौन हो? तुम्हारे पिताजी क्या करते हैं?"

रॉजर ने उत्तर दिया, "मेरा नाम रॉजर है, सर। मेरे पिता एक किसान हैं। मैं सिर्फ यह जानना चाहता था कि सोने की एक ईंट कितने धन के बराबर होगी? कोई उस पैसे में क्या खरीद सकता है?" जागीरदार अब भी बहुत हैरान था। उसने रॉजर को बताया, "बेटा, सोने का एक ईंट का मतलब है एक बड़ा पैसा। इतना पैसा कि इससे तुम बहुत सी जमीनें और बहुत सारे मवेशी खरीद सकते हो। वैसे ईंट का सही मूल्य जानना ईंट के वजन पर निर्भर करता है। मुझे ईंट देखने दो। तुम्हारे पास कितनी ईंटें हैं? या सिर्फ एक ईंट है? ईंट मेरे पास लाओ. मैं तुम्हें अच्छी कीमत दूँगा।" जागीरदार की रुचि सोने की ईंट के बारे में बढती जा रही थी।

रॉजर चुपचाप अपना दोपहर का भोजन बड़े स्वाद के साथ खा रहा था। जागीरदार ने सोचा कि शायद लड़के को उससे अच्छी कीमत मिलने की आशा नहीं है तभी वह कुछ उत्तर नहीं दे रहा है तो उसने रॉजर को आश्वस्त करते हुए कहा, "बेटा! तुम्हें जो कीमत चाहिए, वही मिलेगी।" मैं तुम्हें जमीनें भी दूंगा। मुझ पर विश्वास करो और ईंट मेरे पास ले आओ।"

रॉजर ने शांत स्वर में कहा, "महोदय, मैंने कभी नहीं कहा कि मेरे पास सोने की ईंटें हैं। मैं बस एक सोने की ईंट का मूल्य जानने की कोशिश कर रहा था। अगर कल या किसी और दिन मुझे अगर कोई ऐसी ईंट मिली तो ...''

''हट जाओ, बदमाश! क्या तुम मुझे मूर्ख बनाने की कोशिश कर रहे हो?" जागीरदार गुस्से में गरजा और उसने अपने सैनिकों को बुलाया।

"कृपया परेशानी न उठाएं। मैं खुद जा रहा हूं", रॉजर ने प्रस्थान करते समय कहा, "मुझे आपसे जमीन या मवेशियों की आवश्यकता क्यों होगी, आपके साथ दोपहर के भोजन कर लेने मात्र से ही अब मुझे दो घोड़े और एक दुधारू गाय मिल जाएगी।"

जागीरदार ने मुस्कुराते हुए बातूनी रॉजर को जाते देखा और गुस्से के साथ अपने महल के अन्दर चला गया।

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