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पेड़ों के लिए पत्तियां (न्यूजीलैंड की लोककथाएँ)

क्या आप विश्वास कर सकते हैं कि सदियों पहले पेड़ों पर पत्तियाँ नहीं हुआ करती थी। बाद में उनमें पत्तियाँ अलग से लगायी गयी। बात सच तो नहीं है लेकिन न्यूजीलैंड में एक बहुत ही प्रसिद्ध लोककथा तो ऐसा ही कुछ कहती है इस बारे में. आइये पढ़ते हैं -

सदियों पहले की बात है, उस समय पेड़ों पर पत्ते नहीं हुआ करते थे। मनुष्य, पशु-पक्षियों और अन्य जीव-जन्तु बिना पत्तों वाले पेड़ों को देखते थे। गर्मी के दिनों में लोग गर्मी से राहत पाने के लिए कुछ न कुछ इंतजाम करते थे क्योंकि पत्तों के बिना पेड़ ठंडी छाया नहीं दे पाते थे। सर्दियों के दौरान जीव-जंतु बिलों के अंदर रहते थे क्योंकि नंगे पेड़ बाहर बर्फीली ठंडी हवाओं को नहीं रोक पाते थे। ऐसे ही कई वर्षों तक चलता रहा, किसी ने कुछ न सोचा, न किया ।

लेकिन एक साल बहुत तेज गर्मी पड़ी जिससे मनुष्य और सभी प्राणी परेशान हो उठे। सारा पानी पानी सूख रहा था जिससे  तालाब और झीलें मिट्टी के दलदल में बदलने लगे थे।

तब गाँव के जानवरों ने एक बैठक की और फैसला किया कि वे राजा से अनुरोध करेंगे कि पेड़ों को किसी चीज़ से ढक दिया जाए ताकि उन्हें गर्मी से राहत मिल सके। इसलिए, कुछ हाथी, हिरण, शेर और बैल राजा के पास गए और विनती की, "राजा! इस बार गर्मी ने हमारा जीवन कठिन बना दिया है। इससे भी बदतर पानी की कमी है। कृपया हमें छाया प्रदान करने के लिए कुछ करें।

राजा ने एक मंत्री से प्राणियों को छाया देने और कुछ पानी उपलब्ध कराने के लिए पेड़ों को किसी वस्त्र आदि से ढकने को कहा। मंत्री जंगल में गया और कुछ पेड़ों को ढँकदाया इससे  कुछ तो राहत मिली लेकिन सभी के लिए तो ये पर्याप्त नहीं था इसलिए उन्होंने बारी-बारी से पेड़ों की छाया का उपयोग किया।

मंत्री ने देखा कि छाया ने जानवरों को खुश कर दिया है और वे पानी के बारे में भूल गए हैं। अत: वह चुपचाप लौट आये।

जब मनुष्यों को जानवरों के लिए पेड़ों की छाया के बारे में पता चला तो वे भी राजा के पास गये। उन्होंने राजा से मनुष्यों को भी छाया देने का अनुरोध किया। उनके लिए पेड़ भी लगाएं और पानी भी उपलब्ध कराएं। राजा ने उसी मंत्री से आवश्यक कदम उठाने को कहा।

मंत्री ने फिर उसी तरह दो-तीन पेड़ लगवाये और लौटकर दूसरे कामों में लग गये।

लेकिन मनुष्य अन्य जानवरों की तरह शांत नहीं थे। वे छायादार पेड़ों के नीचे जाने के लिए आपस में लड़ने लगे। जब लड़ाई बहुत गंभीर हो गई तो राजा को इसकी सूचना दी गई। राजा ने संबंधित मंत्री से पूछा, "प्रिय मंत्री! हमारी प्रजा इतनी दुखी क्यों है! यह बहुत बुरा है। आपको इसके बारे में कुछ करना होगा।"

मंत्री ने कहा, "महाराज, मेरा सुझाव है कि पेड़ों को तिरपाल से ढकने के बजाय, अगर हम पेड़ों की शाखाओं पर पत्तियां चिपका दें तो यह बेहतर विचार होगा। इससे छाया मिलेगी और हवा भी गुजरेगी जिससे आसपास का वातावरण ठंडा हो जाएगा। यदि हम ऐसा अधिक से अधिक पेड़ों के साथ कर सकें तो इससे लोगों को अधिक राहत मिलेगी।

राजा ने सहमति व्यक्त की, "ठीक है। पत्तों को चिपका दो।"

मंत्री बोला, 'सर, अगर हम एक ही जैसे और एक ही आकार की पत्तियां चिपका दें तो पेड़ खूबसूरत दिखेंगे। हमें कुछ कारीगरों की जरूरत होगी।'

राजा ने कुछ कारीगरों को नियुक्त करने का आदेश दिया। जब वे पत्ते बनाने लगे तो इस बीच मंत्री ने पानी की समस्या से बचने के लिए कुछ कुएँ भी खुदवा दिए। अब मंत्री ने उन कारीगरों की मदद से शाखाओं पर पत्ते चिपकाने शुरू किये। एक ही आकार और आकृति की पत्तियों को चिपकाने और तैयार करने में काफी समय लग रहा था। गर्मी से परेशान लोग देरी को लेकर शिकायत कर रहे थे।

एक गाँव के मुखिया ने कहा, "मंत्री महोदय, आपके वे कारीगर बहुत धीमे हैं। वे पूरे दिन में एक पेड़ पर भी पत्ते नहीं डाल सकते। हम तो गर्मी से मर जायेंगे।"

मंत्री ने तर्क दिया, "देखो! हर काम में समय लगता है। अगर तुम इतने अधीर हो तो हमारी मदद क्यों नहीं करते?"

मुखिया ने उत्तर दिया, "हम करेंगे। पूरी आबादी इस कार्य को करने के लिए तैयार है। लेकिन वे एक ही जैसी पत्तियाँ नहीं बना सकते। विभिन्न लोगों के समूहों द्वारा बनाई गई पत्तियों की सैकड़ों तरह की आकृतियाँ होंगी।"

मंत्री ने सहमति जताते हुए कहा, "इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। महत्वपूर्ण बात यह है कि काम जल्द से जल्द किया जाना है।" अब सभी लोग पत्तों की आकृतियों को काटने और उन्हें चिपकाने में व्यस्त हो गये। सबको आनंद आने लगा और पूरा राज्य इसी कार्य में लग गया।

जब इंसानों को ऐसा करते जानवरों ने देखा और वे भी वैसा ही करने लगे। जल्द ही, अधिकांश पेड़ पत्तों से लदे हुए दिखने लगे। चिपकाते समय कई पत्तियाँ गिरकर नीचे ज़मीन पर फैल गईं। अब सभी खुश दिख रहे हैं क्योंकि पेड़ पत्तों से ढँके हुए थे। पेड़ों की छाया के नीचे पत्तियों के ढेर पर बैठना हर किसी के लिए एक आनंद बन गया था। इंसान खुश थे और जानवर भी खुश थे। पक्षी खुशी से गाने लगे। पेड़ों की पत्तियों की ख़ुशी में आसमान भी झूम उठा और तेज बारिश हुई।

कहते हैं, तब से ही पेड़ों पर विभिन्न प्रकार की पत्तियाँ उगने लगीं, जिससे सभी प्राणियों को आरामदायक छाया और ठंडी हवा मिली और धरती पर रहने वाले सभी जीव प्रसन्न हो गए।

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